Ticker

6/recent/ticker-posts

भारत में पुर्तगालियों का आगमन

भारत में पुर्तगालियों का आगमन
1487 में बार्थोलोमियो डियाज नामक यात्री समुद्री रास्ते से भारत की खोज पर निकला। वह भारत का समुद्री मार्ग खोजना चाहता था।  ताकि उसका देश सीधे भारत से व्यापार कर सके।  हालाँकि वह भारत को नहीं खोज पाया पर वह अफ्रीका के सबसे दक्षिणी सिरे पर पहुंचा। इसके बाद दूसरा पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा 17 मई 1498 में भारत के कालीकट के तट पर पहुंचा । पुर्तगालियों का उद्देश्य व्यवसाय करना और इसाई धर्म का प्रचार करना था। ये भारतीय व्यापार में एकाधिकार प्राप्त करना चाहते थे । उस समय भारत में अरब व्यापारियों का वर्चस्व था । गुजरात पर शक्तिशाली शासक महमूद बेगड़ा का शासन था। इसके अलावा समस्त उत्तर भारत कई छोटी-छोटी शक्तियों में बिक रहा था और एकता का अभाव था ।
वास्कोडिगामा भारत की खोज के बाद वापस पुर्तगाल लोट गया। इस यात्रा के बाद वास्कोडिगामा 1502 में पुनः भारत की यात्रा पर आया। इस बार उसके साथ केप्लेर ब्राजील जहाजी खोजी और 1200 लोगों का दल था। यह सब कालीकट के तट पर उतरना चाहते थे। परंतु उस समय कालीकट पर हिंदू शासक जमोरिन का शासन था। उसने अरब व्यापारियों को अपने तटीय क्षेत्र से हटाने को मना कर दिया। जिस कारण पुर्तगालियों को अरब व्यापारियों से संघर्ष करना पड़ा । परंतु पुर्तगालियों ने इस पर अधिक समय व्यर्थ नहीं किया और दूसरे क्षेत्र में व्यापार को सुनिश्चित किया । कालीकट और कोचीन  के बीच शत्रुता थी । इसका लाभ उठाकर पुर्तगालियों ने सन 1503 में कोचीन  के मालाबार में पहला व्यापारिक किला बनाया। इस प्रकार पुर्तगाली सर्वप्रथम कोचीन में अपना व्यापारिक किला बनाने में कामयाब हुए।

फ्रांसिस्को डी अल्मेडा 1505 में भारत का गवर्नर नियुक्त किया गया। उसे अरब व्यापार को नष्ट करने और नए किले बनाने का निर्देश था।अलमेडा को 1507 में गुजरात और मिश्र की संयुक्त सेना से समुद्री युद्ध करना पड़ा। जिसमें वह हार गया । पर 1509 में उसने उनको हराया और दीव पर अधिकार किया। 1509 में अल्फ़्रांसो अलबुर्क़ भारत में पुर्तगाली गवर्नर नियुक्त हुआ । भारत में अल्फ़्रांसो अलबुर्क़ की पुर्तगाली सत्ता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही।  इसने 1510 में बीजापुर के सुल्तान युसूफ अली आदिलशाह से गोवा को जीता ।

सन 1529 में नीनो डी कुन्हा पुर्तगाली वायसराय नियुक्त किया गया । इसने सन 1530 में पुर्तगाली मुख्यालय को कोचीन से गोवा स्थापित किया । सन 1536 में गुजरात में पुर्तगाली बस चुके थे । उनका व्यवहार स्थानीय निवासियों से अच्छा नहीं था। शहर के निवासी पुर्तगालियों से लड़ने लगे थे। बहादुर शाह को यह पसंद नहीं था। वह पुर्तगालियों और स्थानीय निवासियों के बीच विभाजन की दीवार कितना चाहते थे। पर इससे पुर्तगालियों को ऐतराज था। क्योंकि इस कारण उनका व्यापारिक और राजनीतिक नुकसान था। इस विवाद को हल करने के लिए वार्ताओं का क्रम चला।  इस क्रम में बहादुर शाह को बातचीत के लिए पुर्तगाली जहाज पर बुलाया गया। परन्तु वहां उसकी हत्या कर दी गई।

संबंधित प्रश्न 

इस हत्या के बाद भी पुर्तगाली किसी प्रकार मुगलों से सम्बन्ध कायम रखने में कामयाब रहे।  अकबर पुर्तग़ालिओं से हथियारों के सहायता प्राप्त करना चाहता था।

जहांगीर ने सत्तारूढ़ होने होने के बाद पुर्तग़ालिओं को नजरअंदाज कर दिया।  पर बाद में धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की।  वे स्वतंत्रता पूर्वक ईसाई धर्म का प्रचार करने लगे और जलूस निकलने लगे।

पर शाहजहां के काल में पुर्तग़ालिओं को मिलने वाले सभी लाभ समाप्त करदिये गए। शाहजहां पुर्तग़ालिओं द्वारा किये गए पूर्व के दुष्कृत्यों से भली भांति परिचित था।

धीरे धीरे इनकी शक्ति कमजोर होने लगी।  पुर्तग़ालिओं का व्यापार डच द्वारा छीन लिया गया।  सन 1663  में डचों ने मालाबार के किले को जीत लिया और पुर्तग़ालिओं का भारत में साम्राज्य समाप्त हो गया।  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ